The smart Trick of Shodashi That No One is Discussing
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The day is noticed with fantastic reverence, as followers stop by temples, offer you prayers, and engage in communal worship events like darshans and jagratas.
The worship of these deities follows a certain sequence known as Kaadi, Hadi, and Saadi, with Every single goddess linked to a certain method of devotion and spiritual apply.
A unique characteristic of the temple is always that souls from any religion can and do provide puja to Sri Maa. Uniquely, the temple management comprises a board of devotees from different religions and cultures.
वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।
वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।
An early morning tub is considered essential, accompanied by adorning fresh new clothes. The puja space is sanctified and decorated with flowers and rangoli, developing a sacred Room for worship.
सर्वज्ञादिभिरिनदु-कान्ति-धवला कालाभिरारक्षिते
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥
Her Tale features legendary battles versus evil forces, emphasizing the triumph of excellent over evil along with the spiritual journey from ignorance to enlightenment.
Sati was reborn as Parvati into the mountain king Himavat and his wife. There was a rival of gods named Tarakasura who might be slain only by the son Shiva and Parvati.
देव्यास्त्वखण्डरूपायाः स्तवनं तव तद्यतः ॥१३॥
कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, more info पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।